एक ऐसा वीआईपी पेड़ जिसकी सुरक्षा में लाखो रूपए महीने के ख़र्च एक पत्ता भी टूट जाये तो अधिकारी दौड़े चले आते है
हमारे आस पास बहुत से पेड़ पौधे होते है जो शहरो में थोड़े कम होते है और गांवो में ज्यादा मिल जाते है और बहुत से पेड़ पौधे तो ऐसे होते है जिनकी कोई देखभाल भी नहीं करता है वो खुद से बड़े होते है और एक दिन समय के साथ सूख भी जाते है और कुछ पेड़ पौधे ऐसे होते है जिनकी थोड़ी बहुत देखभाल हो जाती है जिसमे समय पर खाद पानी डाल दिया जाता है और वो अच्छे से फलने फूलने लगते है पर क्या आपने ऐसे किसी पेड़ के बारे में सुना है जिसकी 24 घंटे सुरक्षा के लिए गार्ड लगे रहे और हर 15 दिन में उसका इंसानो की तरह मेडिकल चेकअप किया जाये और अगर एक पत्ता भी सूख जाये तो अधिकारी भी दौड़े चले आये तो आज हम आपको ऐसे ही वीआईपी पेड़ के बारे में बताने जा रहे है जो मध्यप्रदेश के रायसेन के सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा हुआ है जिसकी 24 घंटे सुरक्षा में गार्ड तैनात रहते है और उसे वीआईपी पेड़ के नाम से जाना जाता है.
इतनी देखभाल का क्या कारण है
इस पेड़ को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्पति महेन्द्रा राजपक्षे ने लगाया था बौद्ध धर्म में इस पेड़ को एक तरह से आस्था का केंद्र माना जाता है और इससे बोधि वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है स्थानीय लोगो से बात करने से पता चलता है की इस पेड़ के साथ बहुत सी धार्मिक मान्यताये जुडी हुई है कहा जाता है इस पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था वही सम्राट अशोक को भी ज्ञान की प्राप्ति इसी पेड़ से मिली थी.
इस पेड़ की सुरक्षा में कितना खर्चा आता है
इस पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए इसके चारो तरफ 15 फ़ीट ऊपर तक जाली लगाई गयी है और 24 घंटे इसकी सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात रहते है और इसका हर पंद्रह दिन में मेडिकल चेकअप होता है और खाद की व्यवस्था की जाती है रोज पानी डाला जाता है तो इन सबको मिलाकर कहा जाता है की हर साल इस पर 15 लाख तक का ख़र्चा आता है.
इससे वीआईपी पेड़ क्यों कहा जाता है
इस पेड़ के ठाठ बाठ देख कर तो वीआईपी पेड़ तो इसका नाम बनता ही है जिसका हाई प्रोफाइल लोगो की तरह ध्यान रखा जाता है सुरक्षा में गार्ड तैनात रहते है और एक पत्ता भी सूख जाये तो इसकी रिपोर्ट भोपाल सरकार में हाई लेवल तक पहुंच जाती है इंसानो की तरह इसका चेकअप होता है तो इसी लिए इसका नाम वीआईपी पेड़ पड गया.